tag:blogger.com,1999:blog-5162916474915583066.post2959926930712290998..comments2023-06-03T08:05:10.161-07:00Comments on आलेख.....: ***Punam***http://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5162916474915583066.post-2229309885416695622012-12-25T21:10:35.712-08:002012-12-25T21:10:35.712-08:00वाह . देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत...वाह . देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग रहिये.Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5162916474915583066.post-39416419174136842772012-02-01T03:22:14.678-08:002012-02-01T03:22:14.678-08:00agree with you :)agree with you :)Monika Jainhttps://www.blogger.com/profile/18206634037142003083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5162916474915583066.post-26754752426579888232011-09-26T22:38:56.019-07:002011-09-26T22:38:56.019-07:00वाह ....कितनी बारीकी से आप गाते हुए बाथ -रूम तक पह...वाह ....कितनी बारीकी से आप गाते हुए बाथ -रूम तक पहुँच गयी ! ऐसे जगहों पर लोग सिर्फ और सिर्फ अपने लिए ही गाते है ! अति सुन्दरG.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5162916474915583066.post-58453241298258947932011-07-10T08:00:43.085-07:002011-07-10T08:00:43.085-07:00इस ब्लॉग का आज ही अनुसरण किया है.
आपने बहुत सुन्दर...इस ब्लॉग का आज ही अनुसरण किया है.<br />आपने बहुत सुन्दर बात बताई <br /><br />लेकिन मज़ा तो तब है जब कभी-कभी आप खुद ही कहें-खुद की सुनें,गाएँ भी तो सिर्फ अपने लिए गाएँ और मुस्कुराएँ भी तो सिर्फ अपने लिए मुस्कुराएँ--सच में बड़ा मज़ा आता है कि सामने वाला सोंचे और ये अंदाजा लगाये कि आप किस बात पर मुसकुरा रहें हैं ?<br /><br />खुद से संवाद खुद की पहचान को संवारता है.<br />सामनेवाले की कोई फ़िक्र न करें.<br />क्यूंकि सामनेवाले में भी फिर अपना प्रतिबिम्ब दिखाई देने लगेगा.<br />मै ,तू या वो सब में ही तो बसेरा है उसका.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5162916474915583066.post-11888042261206702882011-07-03T19:18:16.930-07:002011-07-03T19:18:16.930-07:00पूनम जी
अत्र कुशलम् तत्रास्तु !
...<b>पूनम जी </b> <br /><b> </b> <br />अत्र कुशलम् तत्रास्तु ! <br /><b>कभी-कभी आप खुद ही कहें-खुद की सुनें,गाएं भी तो सिर्फ अपने लिए गाएं और मुस्कुराएं भी तो सिर्फ अपने लिए मुस्कुराएं… </b> <br /><br />बहुत अलग सोच है यह तो … <br /><br />लेकिन एकांत मिलना भी तो बड़ी बात है … मेरे लिए तो किसी से छुपकर मोबाइल पर बात करने में भी हफ़्तों निकल जाते हैं … :) <br /><br /><br />शुभकामनाओं सहित <br />राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.com