हर मंदिर की नींव में रखी हुई हर ईंट उतनी ही महत्त्वपूर्ण होती हैं जितना कि मंदिर के ऊपर दिखाई देने वाला गुम्बद...और वो आकाश की तरफ मुंह उठाये लोगों के द्वारा की जा रही सराहना पर इतराता रहता है... अब अगर गुम्बद में रखी ईंट खुद पर इतराए कि मंदिर की सुन्दरता उसी से है..तो गलत होगा !! अगर हम धीरे से नींव में रखी ईंटों में से एक भी ईंट को अपनी जगह से खिसका दें तो पूरे मंदिर की इमारत हिल जायेगी या ढह भी सकती है..लेकिन यह कितने लोग समझते हैं..जीवन में हर कोई अपने-अपने स्थान पर महत्त्वपूर्ण है चाहे वो छोटा हो या फिर बड़ा !इस संसार की हर छोटी से छोटी वस्तु भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है जितनी कि बड़ी...! ईश्वर ने सभी को अपने किसी उद्देश्य से बनाया है ! संसार का कोई भी प्राणी और कोई भी वस्तु किसी भी चीज़ को उतना over power नहीं करती जितना कि इंसान.. एक इंसान ही है जो किसी की अवहेलना कर सकता है और बेवजह over powre करने की कोशिश करता है क्योंकि उसे हमेशा लगा रहता है कि कहीं कुछ है जो उसके हाथ से निकलता जा रहा है... बस यहीं से उसे हर चीज़ को अपनी मुठ्ठी में करने की चाह होने लगती है...!! चाहे वह किसी पद पर हो,घर हो,परिवार हो,समाज हो,छोटा हो,बड़ा हो...!! समय,परिस्थिति और स्थान अलग-अलग हो सकते