मेरी डायरी से
सितम्बर,२००७
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1ndHRbdce9KK2QyofI3bmKkXjPn_Kn5i2egdpj0ctrdorHD9yY7vjm24T6bxbksFhQzauLefLKnV90DF4g-Z9jQPbXvyGP2VoeuXKk1BAmR2tToH4pGXTTIOoeoWVAKpzmFtxIwGmD0pa/s1600/tsCA2VLYSK.jpg)
हमेशा हम तभी कुछ कहते हैं जब सामने कोई सुनने वाला हो,हमेशा हम तभी गाते हैं जब सामने कोई तारीफ करने वाला हो.कभी खुद से बातें करें-कितना आनंद आता है,कभी खुद के लिए अकेले में गाएं-कितना सुकून मिलता है.लोग बाथरूम में क्यों गाते हैं?क्योंकि उन्हें लगता है कि वो अच्छा नहीं गाते और वहां उन्हें सुनने वाला कोई नहीं है,शायद इसलिए भी कि सुनने वाला उनकी तारीफ नहीं कर पायेगा और वो छिपने की एक अच्छी जगह खोज लेते हैं.लोग इसीलिए सबके साथ बैठ कर चुटकुले सुनाते हैं और हंसते-मुस्कुराते हैं क्योंकि अकेले में हंसना-मुस्कुराना उन्हें अजीब लगता हैं.लेकिन मज़ा तो तब है जब कभी-कभी आप खुद ही कहें-खुद की सुनें,गाएँ भी तो सिर्फ अपने लिए गाएँ और मुस्कुराएँ भी तो सिर्फ अपने लिए मुस्कुराएँ--सच में बड़ा मज़ा आता है कि सामने वाला सोंचे और ये अंदाजा लगाये कि आप किस बात पर मुसकुरा रहें हैं ??? या कहीं आप पागल तो नहीं ???
सितम्बर,२००७
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हमेशा हम तभी कुछ कहते हैं जब सामने कोई सुनने वाला हो,हमेशा हम तभी गाते हैं जब सामने कोई तारीफ करने वाला हो.कभी खुद से बातें करें-कितना आनंद आता है,कभी खुद के लिए अकेले में गाएं-कितना सुकून मिलता है.लोग बाथरूम में क्यों गाते हैं?क्योंकि उन्हें लगता है कि वो अच्छा नहीं गाते और वहां उन्हें सुनने वाला कोई नहीं है,शायद इसलिए भी कि सुनने वाला उनकी तारीफ नहीं कर पायेगा और वो छिपने की एक अच्छी जगह खोज लेते हैं.लोग इसीलिए सबके साथ बैठ कर चुटकुले सुनाते हैं और हंसते-मुस्कुराते हैं क्योंकि अकेले में हंसना-मुस्कुराना उन्हें अजीब लगता हैं.लेकिन मज़ा तो तब है जब कभी-कभी आप खुद ही कहें-खुद की सुनें,गाएँ भी तो सिर्फ अपने लिए गाएँ और मुस्कुराएँ भी तो सिर्फ अपने लिए मुस्कुराएँ--सच में बड़ा मज़ा आता है कि सामने वाला सोंचे और ये अंदाजा लगाये कि आप किस बात पर मुसकुरा रहें हैं ??? या कहीं आप पागल तो नहीं ???